15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर केंद्र सरकार ने नेहरू मेमोरियल का नाम बदल दिया. नेहरू मेमोरियल को अब से पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) के नाम से जाना जाएगा. स्वतंत्रता दिवस पर नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप दे दिया गया है. प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर कहा, एनएमएमएल का नाम अब 14 अगस्त 2023 से प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (पीएमएमएल) सोसायटी हो गया है, जो समाज के लोकतंत्रीकरण और विविधीकरण के अनुरूप है. पोस्ट में तीन मूर्ति भवन की तस्वीर भी लगाई गई थी. जून के मध्य में एनएमएमएल सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर पीएमएमएल सोसाइटी करने को अनुमति दी गई थी.
पीएम ने रखा था यह विचार
गौरतलब है कि नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने की प्रक्रिया पर काफी पहले से ही विचार किया जा रहा था. इसको लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में तीन मूर्ति परिसर में देश के सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक संग्रहालय बनाने का विचार रखा था. इसके बाद एनएमएमएल (NMML) की कार्यकारी परिषद ने बैठक कर नवंबर 2016 को इसकी मंजूरी दे दी थी.
कांग्रेस ने दी तीखी प्रतिक्रिया
वहीं, नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस ने कहा है कि तीन मूर्ति भवन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का सरकारी आवास था. सूत्रों ने बताया कि नये नाम पर अंतिम रूप से आधिकारिक मुहर लगाने के लिए कुछ प्रशासनिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता थी और अंतिम मंजूरी कुछ दिन पहले आई थी. उन्होंने बताया कि एनएमएमएल अधिकारियों ने परिवर्तित नाम को प्रभावी बनाने की तारीख 14 अगस्त तय करने का निर्णय लिया है. यानी अब से एनएमएमएल (NMML) पीएमएमएस (PMMS) के नाम से जाना जायेगा.
‘संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी’- जयराम
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले जब नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, उसी समय से कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया था. कांग्रेस नेता और पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इसको लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है. रमेश ने कहा कि 59 सालों से भी अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों एवं अभिलेखों का खजाना घर रहा है. पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे.
संजय राउत ने नाम बदलने को ठहराया गलत
इसी कड़ी में उद्धव ठाकरे गुट के नेता और सांसद संजय राउत ने भी नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने जाने भड़ास निकाली थी. उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि मैं मानता हूं कि दूसरे पीएम के योगदान को दिखाया जाना चाहिए. एक खंड बनाया जा सकता है जहां अन्य प्रधानमंत्रियों के योगदान को प्रदर्शित किया जा सकता है लेकिन संग्रहालय का नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है.
संकीर्ण सोच और प्रतिशोध की भावना- कांग्रेस
वहीं, कांग्रेस ने एनएमएमएल का नाम बदले जाने को लेकर केंद्र सरकार पर संकीर्ण सोच और प्रतिशोध से काम करने का आरोप लगाया था. कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक ट्वीट कर कहा था कि, जिनका कोई इतिहास ही नहीं है, वे दूसरों के इतिहास को मिटाने चले हैं. नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय का नाम बदलने के कुत्सित प्रयास से, आधुनिक भारत के शिल्पकार व लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की शख्सियत को कम नहीं किया जा सकता. यही सिर्फ बीजेपी-आरएसएस की ओछी मानसिकता और तानाशाही रवैये का परिचय दिखाता है.
भाषा इनपुट के साथ