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गोल्ड से शुरू हुआ एशियाई खेलों का सफर उसी पर खत्म करना चाहता हूं : श्रीजेश

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2014 में एशियाई खेलों में हॉकी के मुकाबले में देश को स्वर्ण पदक दिलवाने में अहम भूमिका निभाने वाले गोलकीपर पी आर श्रीजेश इस साल अपना आखिरी मुकाबला खेलने उतरेंगे. 2014 में एशियाई खेलों का आयोजन इंचियोन में किया गया था. हॉकी के फाइनल मुकाबले में भारत का मुकाबला पाकिस्तान के साथ था. मैच टाई के साथ समाप्त हुआ खिताबी मुकाबले में दोनों टीमों को पेनल्टी स्ट्रोक का मौका दिया गया था. भारत के तरफ से गोलकीपिंग कर रहे पी आर श्रीजेश ने दो पेनल्टी स्ट्रोक बचाकर भारतीय हॉकी टीम की खिताबी जीत दिलाई थी. 23 सितंबर से हांगझोऊ में शुरू हो रहे एशियाई खेलों में वो अपना आखिरी मुकाबला खेलने उतर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मैंने स्वर्ण से शुरू किया था उसी प्रकार से इसे समाप्त भी करना चाहता हूं. 2014 में किया हुआ प्रदर्शन एक बार फिर दोहराना चाहता हूं.

यह मेरा आखिरी एशियाई खेल है : पी आर श्रीजेश

पी आर श्रीजेश ने पीटीआई के साथ बातचीत के दौरान कहा, मैंने इंचियोन में 2014 में स्वर्ण के साथ खेल की शुरुआत की थी. टोक्यो ओलंपिक 2020 में देश को 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने में अहम योगदान भी निभाया हूं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि ये मेरा आखिरी एशियाई खेल है. मैंने स्वर्ण पदक के साथ अपने खेल की शुरुआत की थी और मेरी इच्छा है कि उसके साथ ही अपने करियर का समाप्त भी करूं. 35 वर्ष के श्रीजेश का लक्ष्य एशियाई खेलों में पीले तमगे के साथ पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने का है. उनका मानना है कि टीम पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त दबाव नहीं है. बातचीत के दौरान उन्होंने एशियाई खेलों की खूबसूरती का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा ‘एशियाई खेलों की खूबसूरती यही है कि हॉकी में हम सीधे ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सकते हैं. मैंने हालांकि इसका कभी दबाव महसूस नहीं किया. हमें अपनी क्षमता और ख्याति के अनुरूप खेलना है क्योंकि तोक्यो ओलंपिक के कांस्य के बाद हाल ही में हमने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी भी जीती है.’

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टीम में हुआ है काफी सुधार

टीम के प्रदर्शन पर बात करते हुए श्रीजेश ने कहा, बीते वर्षों में हुए एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रदर्शन वैसा नहीं रहा जैसा हम सभी चाहते थे. टीम अपेक्षा के अनुरूप खरी नहीं उतरी लेकिन उम्मीद है कि टीम इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगी. भारत ने 2014 में पुरुष हॉकी स्पर्धा में स्वर्ण जीता था. 2018 में हमें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था. भारत नें अब तक एशियाई खेलों में तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. पहला स्वर्ण पदक 1966 में आया, जिसके बाद 1998 और फिर 2014. इसके अतिरिक्त भारत को नौ बार (1958, 1962, 1970, 1974, 1978, 1982, 1990, 1994, 2002) रजत पदक मिले हैं और तीन बार (1986, 2010, 2018) कांस्य पदक जीता है.

मानसिक रूप से भी मजबूत होकर उतरेगी भारतीय टीम

श्रीजेश ने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हम सबसे अधिक यूरोपीय टीमों के साथ मैच खेलते हैं और अचानक से एशियाई टीमों के साथ खेलने उतार जाते हैं. जो हमारे लिए थोड़ा कठिन हो जाता है. हम एशियाई खेलों में खिताब के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं. बाकी टीमें हमारे खिलाफ अपना दो सौ फीसदी प्रयास करती हैं. यही वजह है कि हम अपेक्षा के अनुरूप नतीजे नहीं दे पा रहे हैं. यह बात नहीं है की हम खराब खेलते हैं बल्कि बात ऐसी है कि बाकी टीमें हमारे खिलाफ बेहतरीन खेल जाती है. इसके साथ ही उन्होंने कहा 2026 में होने वाले एशियाई खेलों में हम किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतेंगे. टीम मनोवैज्ञानिक से मुलाकात भी कर रही है. इस बार टीम मानसिक रूप से मजबूत होकर मैदान में उतरेगी.

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खिलाड़ियों को अपना स्वाभाविक खेल खेलना होगा

जब श्रीजेश से पूछा गया की टीम के युवा खिलाड़ियों को आप क्या सलाह देते हैं, तब उन्होंने कहा, ‘ मैं सभी को स्वाभाविक खेल दिखाने के लिए कहता हूं. बड़े टूर्नामेंट में हम कुछ नया करने की कोशिश में रहते हैं. लेकिन मैं कहता हूं कि अपना स्वाभाविक खेल दिखाओ. इसके अलावा मैं खिलाड़ियों को तारीफ और आलोचना दोनों का सामना करने के लिए तैयार रहने को बोलता हूं. क्रिकेटरों को भी खराब दौर का सामना करना पड़ता है. इस बारे में ज्यादा सोचने की बजाय प्रदर्शन पर फोकस करना हर खिलाड़ी का प्रथम कर्तव्य है.’

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मै अपना बेस्ट देने का करता हूं प्रयास : श्रीजेश

पी आर श्रीजेश केरल के रहने वाले हैं. पत्रकार के द्वारा जब उनसे उनके निजी लक्ष्य के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा मैंने कई मैच खेल हैं, कई मैच में करारी हार का सामना किया है. तो कई खेल में शानदार जीत भी हासिल की है. मैं व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ध्यान नहीं देता. मेरा फोकस यही रहता है कि मेरी वजह से टीम हारे नहीं. इससे सकारात्मक दबाव बनता है, जिससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद मिलती है.

रोल मॉडल बनना चाहते हैं श्रीजेश

अपने करियर के आखिरी मुकाम पर खड़े श्रीजेश भावी पीढ़ी के गोलकीपरों के लिए रोल मॉडल बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं गोलकीपिंग को अगले स्तर तक ले जाना चाहता हूं और अपनी एक विरासत बनाना चाहता हूं. मैंने शंकर लक्ष्मण का काफी नाम सुना था और अब मैं चाहता हूं कि आने वाले समय में नये खिलाड़ी उसी तरह मुझसे प्रेरित हों, जिस प्रकार से मै शंकर लक्ष्मण से हुआ था.’

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