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प्राइवेट मेंबर बिल क्या हैं ? 1970 के बाद से पास नहीं हुआ कोई भी, वो 14 विधेयक कौन से जो कानून बन गए

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11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र का समापन हो गया। सत्र के दौरान हंगामेदार बातचीत के बीच पिछले हफ्ते लोकसभा में चर्चा के लिए अन्य विषयों के बीच एक ऐसा मुद्दा उठाया गया जो जरूरी नहीं लग रहा था, जैसे शादियों के दौरान फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना। विशेष अवसरों पर फिजूलखर्ची रोकथाम विधेयक, 2020 को कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने लोकसभा में प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में पेश किया। इस बिल के अनुसार, बरात में सिर्फ 50 लोग ही शामिल हो पाएंगे। साथ ही इसके तहत शादी में 10 से अधिक व्यंजनों को नहीं परोसा जा सकेगा। इसके अलावा शगुन या उपहार में 2500 रुपये से अधिक नहीं दिए जा सकेंगे।

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क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल
प्राइवेट मेंबर बिल को कोई भी संसद सदस्य यानि सांसद पेश करता है, शर्त केवल यह है कि वो मंत्री नहीं होना चाहिए। ऐसे ही सासंद को प्राइवेट मेंबर कहते हैं। निजी सदस्यों के विधेयक सदन के ऐसे सदस्य द्वारा पेश किए गए विधायी प्रस्ताव हैं जो मंत्री नहीं हैं (उनके द्वारा पेश किए गए विधेयक सरकारी विधेयक हैं)। सदन हर शुक्रवार को कामकाज के आखिरी ढाई घंटे निजी सदस्यों के कामकाज के लिए आवंटित करता है, जिसमें निजी सदस्यों के विधेयक और निजी सदस्यों के संकल्प शामिल होते हैं। राज्यसभा में सत्र के दौरान हर दूसरे शुक्रवार को आम तौर पर ढाई घंटे आवंटित किए जाते हैं।
1970 के बाद से अब तक कोई भी विधेयक पास नहीं हो पाया
लेकिन इन विधेयकों को आगे बढ़ाना बेहद कठिन है। आज तक ऐसे केवल 14 विधेयक ही अधिनियम बन पाए हैं। 14 में से छह विधेयक 1956 में कानून बन गए और संसदीय अनुमोदन प्राप्त करने वाला अंतिम विधेयक 9 अगस्त, 1970 को सर्वोच्च न्यायालय (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) विधेयक, 1968 था। साल 2014-19 में 16वीं लोकसभा में सबसे अधिक 999 प्राइवेट मेंबर बिल पेश हुए थे। इस लोकसभा के 142 प्राइवेट मेंबर्स ने बिल पेश किए थे। 

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14 प्राइवेट मेंबर बिल जो पास होकर कानून बन गए
कांग्रेस के सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी ने पहला निजी सदस्य विधेयक पेश किया जो 1952 में लोकसभा में एक अधिनियम बन गया। मुस्लिम वक्फ विधेयक, 1952, मुस्लिम वक्फों के बेहतर प्रशासन और प्रशासन और पर्यवेक्षण प्रदान करने के लिए पेश किया गया था।
दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक, 1953, दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 की धारा 435 में संशोधन लाया गया।
भारतीय पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 1955 ने दस्तावेजों के पंजीकरण से संबंधित अधिनियमों को समेकित करने की मांग करते हुए पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 2 में संशोधन किया।
 संसदीय कार्यवाही (प्रकाशन का संरक्षण) विधेयक, 1956, संसद की कार्यवाही की रिपोर्टों के प्रकाशन की सुरक्षित करना।
 महिला एवं बाल संस्थान (लाइसेंसिंग) विधेयक, 1954 ये एक ऐसा अधिनियम बन गया जो महिलाओं और बच्चों के देखभाल, सुरक्षा और कल्याण के लिए स्थापित और संचालित संस्थानों को लाइसेंस प्रदान करता है।
प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक और पुरातात्विक स्थल और राष्ट्रीय महत्व) विधेयक, 1954 पेश किया गया था। प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों के संरक्षण, पुरातात्विक उत्खनन के विनियमन और संरक्षण के लिए प्रदान करने के लिए।
 हिंदू विवाह (संशोधन) विधेयक, 1956, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 10 में संशोधन करता है।
दंड प्रक्रिया संहिता (संशोधन) विधेयक, 1957, दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 की धारा 198 में संशोधन किया गया। 
अनाथालय और अन्य धर्मार्थ घर (पर्यवेक्षण और नियंत्रण) विधेयक, 1959, उपेक्षित महिलाओं या बच्चों के लिए अनाथालयों और घरों की देखरेख और नियंत्रण से संबंधित है।
भारतीय समुद्री बीमा विधेयक, 1959 ने समुद्री बीमा से संबंधित कानून को संहिताबद्ध किया।
हिंदू विवाह (संशोधन) विधेयक, 1963, तलाक के आधार पर हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के प्रावधानों में संशोधन किया गया। 
संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 1964, संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1954 की धारा 3 ए और 5 में संशोधन किया गया। 
सुप्रीम कोर्ट (आपराधिक अपीलीय क्षेत्राधिकार का विस्तार) विधेयक, 1968, आपराधिक मामलों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के बढ़े हुए अपीलीय क्षेत्राधिकार से संबंधित है।
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