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मणिपुर में हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने दो नए रूट पर हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की दी अनुमति

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केंद्र सरकार ने मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य के दो स्थानों से पड़ोसी नगालैंड और मिजोरम के लिए हेलीकॉप्टर सेवा संचालित करने की अनुमति दे दी है. यह जानकारी एक सरकारी आदेश में दी गई है.

इन दो मार्गों पर जल्द शुरू होगी हेलीकॉप्टर सेवा

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने चुराचांदपुर-आइजोल और कांगपोकपी/सेनापति-दीमापुर मार्गों के लिए मणिपुर को हेलीकॉप्टर सेवा संचालित करने की अनुमति दी है. आइजोल मिजोरम की राजधानी है जबकि दीमापुर नगालैंड का वाणिज्यिक केंद्र है. आदेश में कहा गया है, असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए इन दो नए मार्गों पर परिचालन के कारण प्रति वर्ष 750 उड़ान घंटों की मौजूदा सीमा पार होने की स्थिति में राज्य को अतिरिक्त उड़ान घंटों के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी जाती है. अगर जरूरत हो तो उड़ान घंटों में वृद्धि के लिए विशिष्ट प्रस्ताव गृह मंत्रालय को प्रस्तुत किया जा सकता है.

कुकी-जो समुदाय ने अमित शाह से की थी हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की मांग

कुकी-जो समुदाय के संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने दावा किया कि जब संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी मणिपुर यात्रा के दौरान 30 मई को मुलाकात की थी तब उसने दो नए मार्गों पर हेलिकॉप्टर सेवा की मांग की थी. मणिपुर में इंफाल से चुराचांदपुर और जिरीबाम तक यात्री हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं.

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मणिपुर हिंसा संबंधी नौ और मामलों की जांच संभालेगी सीबीआई

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) मणिपुर हिंसा से संबंधित नौ और मामलों की जांच अपने हाथ में लेने वाला है, जिससे एजेंसी द्वारा जांच किए जाने वाले मामलों की कुल संख्या बढ़कर 17 हो जाएगी. केंद्रीय एजेंसी की जांच इन 17 मामलों तक सीमित नहीं होगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध या यौन उत्पीड़न से संबंधित किसी अन्य मामले को भी प्राथमिकता के आधार पर उसे भेजा जा सकता है.

सीबीआई ने अबतक 8 मामले किये दर्ज

अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने अब तक आठ मामले दर्ज किए हैं, जिनमें मणिपुर में महिलाओं के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित दो मामले शामिल हैं. अधिकारियों ने कहा कि वह नौ और मामलों की जांच की जिम्मेदारी संभालने की प्रक्रिया में है. उनके अनुसार, जांच एजेंसी राज्य के चुराचांदपुर जिले में कथित यौन उत्पीड़न के एक और मामले को अपने हाथ में ले सकती है. अधिकारियों ने कहा कि जब समाज जातीय आधार पर बंटा हुआ है, उस स्थिति में सीबीआई को मणिपुर अभियान के दौरान पक्षपात के आरोपों से बचने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि एक समुदाय के व्यक्ति की किसी मामले में संलिप्तता के परिणामस्वरूप दूसरी तरफ से उंगलियां उठाई जाएंगी.

सीबीआई जांच में कई मामलों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम लागू

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई द्वारा जांच किये जा रहे मामलों में से कई में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के प्रावधान लागू हो सकते हैं, जिनकी जांच पुलिस उपाधीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा की जा सकती है. उन्होंने कहा कि चूंकि उपाधीक्षक ऐसे मामलों में पर्यवेक्षी अधिकारी नहीं हो सकते हैं, इसलिए एजेंसी जांच की देखरेख और निगरानी के लिए अपने पुलिस अधीक्षकों को तैनात करेगी.

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महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की जांच के लिए महिला अधिकारियों भी तैनात

सीबीआई ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की जांच के लिए राज्य में महिला अधिकारियों को भी तैनात किया है, जो बयान दर्ज करने और पूछताछ के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है.

तीन मई से मणिपुर में जारी है हिंसा, अबतक 160 से अधिक लोगों की हुई मौत

तीन मई को राज्य में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं, और कई सौ लोग घायल हुए हैं. बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किये जाने के दौरान यह हिंसा भड़की थी. मणिपुर की कुल आबादी में मैतेई समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

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