

माता-पिता को गुजारा भत्ता
आज के दौड़ भाग के जीवन में हम कहीं न कही अपनों से दूर होते जा रहे है। आज के समय में सभी लोग इतने व्यस्त है की वो अपने परिवार को भी टाइम नहीं दे पाते आज के ज्यादातर युवा मोबाइल फ़ोन में व्यस्त रहते है। इसी बीच एक काफी अहम् फैसला आया है हम सभी लोगो को जानना चाहिए। बदलते सामाजिक जीवन के बीच बुजुर्गों की देखभाल जहां एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
वहीं सरकार माता-पिता और बुजुर्गों के भरण- पोषण से जुड़े सालों पुराने कानून में बड़े बदलाव की तैयारी में है जिसे और सख्त बनाया जा सकता है। इसके तहत कोई व्यक्ति अब बुजुर्गों की देखभाल से मुंह नहीं मोड़ सकेगा।बच्चो के ऐसा न करने पर उन्हें छह माह की जेल और जुर्माना दोनों की सजा हो सकती है। इसके साथ ही बुजुर्गों को मिलने वाले गुजारा भत्ते में भी बदलाव की तैयारी में है। यह भत्ता बच्चों की हैसियत और आय के हिसाब से निर्धारित की जाएगी। अब तक इसका अधिकतम दायरा दस हजार रुपए प्रति माह ही प्रस्तावित किया गया था।
विधेयक में अब होंगे बदलाव|माता-पिता को गुजारा भत्ता
तकरीबन तीन साल के काफी लम्बे इंतज़ार के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने माता-पिता व बुजुर्गों के भरण पोषण से जुड़े विधेयक में बदलाव आगे बढ़ाने को तैयार है।इस समय भरण पोषण से जुड़े विधेयक में बदलाव की तैयारी भी चल रही है संसद के शीतकालीन सत्र में इसे लाने की तैयारी चल रही है। हालांकि इस विधेयक को पहली बार 2019 में संसद में पेश किया गया था, बाद में इसे स्टैंडिंग कमेटी को फॉरवर्ड कर दिया गया।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक कमेटी के सुझाव के बाद इस विधेयक में कई अहम बदलाव किए गए है।इस विदेयक के चलते अब बुजुर्ग माता पिता के देख भल के लिए पासी भी देने होंगे।अब कोई भी माता पिता अपने आप को बेसहारा नहीं महसूस करेगा यदि परिवार उनकी सेवा नहीं करता तब सरकार उनकी देखभाल करेगी। इसके लिए देश में एक ढांचा खड़ा किया जाएगा। जिसमें हर एक जिलों में बुजुर्गों की मौजूदगी को मैपिंग करते हुए मेडिकल सुविधा युक्त वृद्धाश्रमों और जिला स्तर पर एक टीम को गठित कर इस जिम्मेदारी को दिया जायेगा।