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Asha Bhosle: रिकॉर्डिंग से आकार रात 2 बजे हमारे लिए आशाजी ने बनाया था खाना, उत्तम सिंह ने बताया ये किस्सा

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Asha Bhosle Birthday: हिंदी सिनेमा की लीजेंडरी गायिका आशा भोंसले आज यानी 8 सितम्बर को अपना 90 वां जन्मदिन मना रही हैं. संगीतकार उत्तम सिंह, आशा जी के साथ अपने जुड़ाव को पांच दशक से भी अधिक पुराना करार देते हैं. उनके साथ कई लाइव शोज और प्लेबैक रिकॉर्डिंग का हिस्सा रहे उत्तम सिंह ने आशा जी जुड़ी कई खास यादें उनके जन्मदिन पर शेयर की. पेश है उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

लताजी सूरज तो आशाजी चांद हैं

आज आशाजी का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर मैं यही कामना करना चाहूंगा कि भगवान करें वों हमेशा हमारे पास रहें. दुनिया भर में उनकी आवाज गूंज रही है और गूंजती रहेगी. कोई आए कोई जाए आशा तो आशा हैं. मेरी भगवान से दुआएं और प्रार्थनाएं हैं कि वों हमेशा अच्छी रहे और हमारे पास रहें. मेरे लिए लताजी और आशाजी सूरज और चांद की तरह हैं, जो कभी भी खत्म नहीं होंगे. वों हमेशा जगमगाती रहेंगी.

दिल ले गयी ले गयी गाने को अलग अंदाज में गाने का आशाजी का ही था आईडिया

आशाजी के करियर के सुपरहिट गीतों में मेरे द्वारा कंपोज़ किया गया फिल्म दिल तो पागल है का गीत दिल ले गयी.. ले गयी भी शामिल है. यह मेरी खुशकिस्मती है कि यह गाना इतना बड़ा हिट बन गया कि आशाजी का कोई भी कॉन्सर्ट इस गाने के बिना पूरा नहीं होता है. इस गाने से जुड़ी रिकॉर्डिंग के अनुभव को याद करुं, तो यश जी कैम्प की सबसे अच्छी बात ये थी कि उनके संगीतकार को जो चाहिए, वों उसे उसकी करने की पूरी आजादी देते थे. जब मैंने दिल ले गयी ले गयी कंपोज़ किया तो मैंने कहा ये गाना आशाजी का गाना है. आशाजी को बुलाया गया. मैंने उन्हें गाना बताया. गाना था दिल ले गयी.. ले गयी.. लेकिन जब गाया गया तो वों ऐसे गाया गया दिल ले गयी.. ले गयी.. या ऊऊऊ, जो लास्ट में एक अलग अंदाज में शब्दों को उन्होंने खींचा है. वो उनका ही आईडिया था. वों बहुत ही क्रिएटिव आर्टिस्ट हैं. उन्होंने कहा कि उत्तम में ऐसा करुं. मैंने कहा कि आप कीजिये. उन्होने एक घंटे में इस गाने को रिकॉर्ड कर दिया था

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पंचम दा और आशाजी के लाइव कॉन्सर्ट बहुत खास होते थे

आशाजी और पंचम दा की जोड़ी हिंदी सिनेमा की यादगार जोड़ियों में से हैं. जोड़ी ऊपर वाला बनाता है और वो जोड़ी आज तक कायम है. उनकी जैसी जोड़ी ना कभी आ सकी और ना कभी आएगी. ये ऊपर वाले की मेहर होती है. हर चीज उसने बनायीं होती है. मैं ख़ुशक़िस्मत लोगों में से हूं, जो उन दोनों के साथ काम करने का मौका मिला है. आशाजी और पंचम का वर्ल्ड टूर कॉन्सर्ट 1977 में शुरू हुआ था और यह पांच सालों तक चला था इस दौरान हम अमेरिका, लंदन, कनाडा,मॉरीशियस, सिंगापुर गए थे. हमने बहुत से शोज किए थे. एक शो भी ऐसा नहीं था, जो100 प्रतिशत से 99 प्रतिशत भी हुआ हो. दुनिया में लोगों को इस पर पंचम द्दा की एंट्री होती थी और इस गाने पर हॉल तालियों से गूंज उठता था. आशाजी के हर गाने पर लोगों का उत्साह देखते बनता था. झुमका गिरा रे सभी का पसंदीदा गीत था.

रियाज और रिहर्सल को देती है बहुत महत्व

आशाजी को संगीत में लीजेंड उनकी मेहनत और समर्पण ने बनाया है. वों आज भी रियाज करना नहीं भूलती हैं. वों दिन क्या रात में भी रियाज करती है. रिहर्सल को भी वह बहुत महत्व देती हैं. मुझे याद है हमने जब 77 का म्यूजिकल टूर शुरू किया, तो उसकी तैयारी 76 से रिहर्सल करना शुरू कर दिया था. एक साल पहले से. लाइव शो करने से पहले हम उसी स्टेज पर पूरी रिहर्सल करते थे चार से पांच घंटे. वों पूरा दिन हमारी बहुत मेहनत का दिन होता था. रिहर्सल में भी वे सारे गाने पूरे परफेक्शन के साथ गाती थी. जो उन्होने में गाया है वैसा ही स्टेज शो ही नहीं बल्कि कार्बन कॉपी गाती थी. एक भी सुर इधर से उधर नहीं होता था.

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आशाजी ने रात के दो बजे खाना बनाकर खिलाया था

आशाजी बहुत ही केयरिंग हैं. मुझे याद है एक बार रात को दो बजे हमलोग उनके घर से निकल रहे थे. अहमद भोंसले के साथ म्यूजिक सीटिंग करके. मेरे असिस्टेंट राम जी भी मेरे साथ थे. जैसे दरवाजा खोला सामने वो आ रही थी. वों एक रिकॉर्डिंग से लौटी थी. उन्होने कहा अरे तुमलोग अभी भी यही हो. मैंने बोला हां काम कर रहे थे. उन्होने पूछा कि खाना खाया. मैंने बोला घर जाकर खा लेंगे उन्होने बोला नहीं रुको. बस बीस मिनट दो. मैं बताना चाहूंगा कि उतनी रात को बिना किसी नौकर को जगाये उन्होंने खुद ही चिकन और पुलाव बीस मिनट में गरमागरम बनाकर ले आयी. उन्होने अपने हाथों से हमें परोसा और जब तक हम खाकर अपने घर के लिए निकले नहीं. वे हमारे पास ही बैठी रही थी.

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