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Exclusive: शिल्पा शेट्टी कुंद्रा बोलीं- मिडिल क्लास वाले वैल्यू मुझमें भी है, फिल्म ‘सुखी’ को लेकर कही ये बात

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अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा फिल्म ‘सुखी’ के साथ एक बार फिर रुपहले पर्दे पर नजर आने वाली हैं. वह इस फिल्म को हर औरत की कहानी कहती हैं. इस वजह से ही वह इस फिल्म से जुड़ने के लिए तैयार हुईं. उनकी इस फिल्म, करियर, निजी जिंदगी पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

एक के बाद एक हिंदी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कर रही हैं. यह आपको अपनी फिल्म के लिए कितनी आशावान बना रही है?

बहुत ही अच्छा टाइम आ गया है. इसी इंतजार में थे कि अपना टाइम कब आयेगा. अंतत: अपना टाइम आ ही गया. कोविड के बाद से इंडस्ट्री बहुत ही लो फेज से गुजर रही थी. अब फिर से एक सकारात्मक माहौल बना है. मेरी फिल्म ‘सुखी’ छह महीने पहले रिलीज होने वाली थी, लेकिन मेरा पैर टूट गया. कुछ शूट करना बच गया था. इस वजह से फिल्म अब रिलीज हो रही है, जो कि बहुत अच्छा टाइम है.

फिल्म ‘सुखी’ में आप टाइटल रोल निभा रही हैं. क्या फिल्म को इसलिए ‘हां’ कहना आसान था?

सच कहूं, तो जब मुझे ये फिल्म ऑफर हुई थी, मैं मुश्किल दौर से गुजर रही थी. मुझे लगा कि अभी मुझे खुद को और बच्चों पर ध्यान देना चाहिए. मैंने फिल्म को मना कर दिया था. मुझे मनाने का पूरा श्रेय इस फिल्म के निर्माता विक्रम को जाता है. उन्होंने साफ कह दिया कि मैं ये फिल्म बनाऊंगा, तो तुम्हारे साथ बनाऊंगा. मुझे लगता नहीं कि कोई लड़की ‘सुखी’ बन सकती है, क्योंकि यह एक ऐसी लड़की की कहानी है, जिसकी उम्र को पर्दे पर बीस से चालीस साल तक दिखाया जायेगा और वह पर्दे पर सिर्फ आप दिख सकती हैं. उन्होंने छह महीने तक मेरी ‘हां’ का इंतजार किया. स्क्रिप्ट घर में रखी थी. राज ने पढ़ी, उस वक्त मैं कहीं बाहर थी. वह एक सीन को बताकर हंस रहा था कि क्या अच्छा सीन है. फिल्म के क्लाइमेस तक जब वह पहुंचा, तो उसने मुझे फिर फोन किया और कहा कि तुम्हें यह फिल्म करनी चाहिए.

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कुछ समय से आप सोशल मीडिया व टीवी के जरिये फैंस से जुड़ी हैं. क्या आपको लगता है कि एक्टिंग पर फोकस करने का वक्त आ गया है?

मुझे नहीं लगता है कि मेरा वक्त कभी गया था. मुझे फिल्मों के ऑफर्स लगातार आते रहे हैं, पर वो मेरी पसंद थी कि मैं कम काम करूं. एक सेल्फ प्रिजर्वेशन भी एक चीज होती है. मैंने छोटी उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. फिर मेरे बच्चे हो गये, तो मेरी प्राथमिकताएं बदल गयीं. अब मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे मुझे इस अवतार में देखें. जो काम ले रही थी जैसे- इंडिया गॉट टैलेंट, सुपर डांसर, ये मैं अपने बच्चों के लिए करती हूं. वे देख सकें कि कितना सारा टैलेंट है. उनकी मां क्या करती है. अब वो देखेंगे कि मैं फिल्म भी करती हूं. समीषा बहुत छोटी है. उसने अभी तक मेरा कोई भी काम नहीं देखा है. बेटे विहान को मैंने ये फिल्म अपने पूरे परिवार के साथ दिखायी है. मैं उसका रिएक्शन देखना चाहती थी. एक आर्टिस्ट के तौर पर उनका रिएक्शन देख बहुत खुशी हुई.

ट्रेलर में एक लाइन है, बेधड़क, बेपरवाह, बेशर्म. रियल लाइफ में इस फेज में आप कब थीं?

मुझे लगता है कि जब आप आर्टिस्ट हो जाते हैं, तो आपको बेशर्म होना पड़ता है, वरना आप सच्चे आर्टिस्ट नहीं हो. कभी-कभी आप इतनी भीड़ के सामने डांस या एक्टिंग कर रहे होते हो, ताे लोग आपको जज कर रहे होते हैं. अजीब-सा लगता है. बेधड़क, बेपरवाह और बेशर्म होना ही पड़ता है.

अक्सर यह बात सामने आती है कि सेलिब्रिटी अपने बच्चों को फिल्मों और लाइमलाइट से दूर रखना चाहते हैं. क्या आप नहीं चाहती हैं?

इंडस्ट्री ने हमें इतना प्यार और सम्मान दिया है, मैं ऐसा करके अपमान क्यों दिखाऊं. हम उन्हें जीवन देने का माध्यम मात्र हैं. वे अपनी किस्मत लेकर आये हैं और यह जर्नी उनकी है. माता-पिता के रूप में हम उन्हें जीवन कौशल सिखायेंगे, उसके बाद वे अपने दम पर रहेंगे. हमें उन्हें एक मजबूत आधार देना होगा. भविष्य का निर्णय उन्हें करना है.

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फिल्म में आप परिवार और घर की जिम्मेदारियों से ब्रेक लेकर खुद के लिए समय निकाल रही हैं. रियल लाइफ में आपके लिए आपका मी टाइम क्या है?

मेरी प्राथमिकता मेरा परिवार है, पर हमारा काम भी बहुत हैक्टिक होता है. इसलिए मैं अपने परिवार के साथ अक्सर हॉलिडे प्लान करती हूं. राज के बर्थडे पर हम तीन से चार दिन का ब्रेक लेकर बाहर जा रहे हैं. क्रिसमस में मेरे बच्चों की छुट्टियां होती हैं, तो हम लंदन जाते हैं. उस दौरान मैं सबसे कट जाती हूं. मेरा फोकस सिर्फ मेरा परिवार होता है.

औरतों को हमेशा मल्टीटास्कर बनने को कहा जाता है. क्या ये महिलाओं पर प्रेशर का काम नहीं करता है?

हम मिडिल क्लास वालों की परवरिश ऐसी होती है. इसीलिए हम सबकी सोच ऐसी है कि हम सब कुछ कर सकती हैं. मिडिल क्लास वाले वैल्यू मुझमें भी है. घर के ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में क्या बन रहा है, इसका मैं खुद ध्यान रखती हूं. बच्चों के टिफिन में क्या जायेगा, मैं तय करती हूं. मैं अपने बच्चों को चीजों की अहमियत करना सीखाती हूं. मैं उन्हें बताती हूं कि कैसे बचपन में महंगे नये कपड़ों के लिए मुझे दिवाली का इंतजार करना पड़ता था. बच्चों की देखभाल के साथ-साथ जीवन मूल्य भी देना चाहती हूं, जिसे मैं औरतों की यूएसपी मानती हूं,

फिल्म में कॉलेज लाइफ को एक्सप्लोर किया गया है. क्या आपने उन चीजों को मिस किया है?

‘सुखी’ फिल्म के दौरान मैंने ये बात महसूस की कि मैंने अपनी लाइफ के बहुत सारे पल मिस किये हैं या उन्हें कहीं भूल गयी हूं. फिल्म की शूटिंग के दौरान मैं इतनी भावुक हो गयी कि मैं एक दिन अपने चेम्बूर के स्कूल में चली गयी थी. वहां से मैंने अपने स्कूल की बेस्ट फ्रेंड को कॉल किया. वो बेंगलुरु में अब रहती है और बहुत बड़ी उद्यमी भी बन गयी है. हमने फोन पर लंबी बात की, क्या खाते थे. स्कूल की कई सारी शरारतों को याद किया. उस दिन मुझे बहुत खुशी मिली थी.

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हाल में आपकी लाइफ काफी उतार-चढ़ाव भरी रही, लेकिन आप हमेशा सकारात्मक ढंग से ही सबसे मिलती हैं? वहीं, राज हमेशा मास्क के जरिये दूर ही रहते हैं. इसकी कोई वजह?

मैं इस बात का ख्याल रखती हूं कि लोगों से जब मिलूं, तो उन्हें हमेशा अपनी सकारात्मकता दूं. मैं अंदर से कितनी भी परेशान क्यों ना रहूं, मैं सबसे मुस्कुरा कर ही मिलती हूं. फिर चाहे वह पैपराजी ही क्यों ना हो. जहां तक राज की बात है, तो इसकी वजह का जल्द खुलासा होगा. तब तक इंतजार करना होगा.

आपकी शादी इंडस्ट्री की सफल शादियों में से एक है. युवाओं को क्या सलाह देना चाहेंगी? आपके आने वाले कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स हैं?

अपने पार्टनर से दोस्ती करें. ईमानदार रहें. कभी भी अपने बच्चों के सामने अपने पार्टनर से लड़ाई न करें. मेरे माता-पिता ने मुझे यही सिखाया है. अपने बड़े होने के दौरान मैंने उन्हें कभी बहस करते या लड़ते नहीं देखा. मुझे यकीन है कि उनके झगड़े होते होंगे, लेकिन उन्होंने हमारे सामने कभी ऐसा नहीं किया. मैं अपने बच्चों के सामने यही कोशिश करती हूं. कोशिश करें, जो भी समस्या शुरू हो, उसको उसी दिन बातचीत से खत्म कर दें. जहां तक बात आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में है, अभी रोहित शेट्टी की वेब सीरीज ‘इंडियन पॉइस फोर्स ’है और एक फिल्म भी है.

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